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द गर्ल इन रूम 105

बिलकुल भी नहीं।'


"तो फिर.... ' मैंने बोलना शुरू किया, लेकिन सिकंदर फिर उठ खड़ा हुआ।

"क्या?' मैंने कहा 'तुम बड़े क्यों हो गए।' उसने कोई जवाब नहीं दिया और उल्टे एक रिवॉल्वर निकाल लिया।

सौरभ का मुंह खुला का खुला रह गया। अलबत्ता सिकंदर ने हमें हैंड्स अप नहीं कहा था, लेकिन उसने

तुरंत दोनों हाथ ऊपर उठा लिए। शायद यह जरूरत से ज्यादा फिल्में देखने का नतीजा था। उसके एक हाथ में प्याज का पकौड़ा था। 'सिकंदर भाई, हम लोग केवल बात कर रहे हैं, इस सबकी क्या जरूरत... ' मैंने शांत आवाज़ में कहा लेकिन सिकंदर ने मुझे बीच में रोक दिया।

"चुप्प, हरामी बहुत हो गया। मुझे मालूम है कि आपा और तुम्हारा रिश्ता बहुत पहले ही ख़त्म हो गया था। तो तू अब ये जासूसी क्यों कर रहा है?" उसने मेरे चेहरे की ओर गन घुमा दी। मुझे लगा, जैसे मेरा दिल धड़कना बंद हो जाएगा।

'अगर मैंने तुम्हें अपसेट कर दिया हो तो उसके लिए सॉरी में केवल बात करना चाहता था।' मैं जा रहा हूँ। मेरा पीछा करने की कोशिश मत करना, समझे?" वेटर्स, कस्टमर्स और दुकान का मालिक, सभी अपनी जगह पर जमे के जमे रह गए। सिकंदर दुकान से बाहर

निकल गया। वह सड़क के दूसरी ओर गया और गन को अपने कुर्ते की जेब में रख लिया। देखते ही देखते वो

पहाड़गंज की भीड़ में कहीं गुम हो गया। 'वो चला गया है,' मैने सौरभ से कहा, 'अब तुम अपने हाथ नीचे कर सकते हो।"

क्व क्या... सौरभ ने हाथ ऊपर किए हुए कहा। "पहले जो खा रहे हो, उसे निगल जाओ।"

सौरभ ने अपना पकौड़ा निगला और चिल्लाते हुए कहा, 'वॉट द फ़क मेरे भी पैरेंट्स हैं। फक फक, केशव, आज के बाद मैं तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाऊंगा। हम लोग ट्यूशंस लेते हैं, हम किसी जेम्स बॉन्ड के भतीजे नहीं हैं।'

"हमें कुछ नहीं हुआ है। डरपोक तो वो था, जो यहां से भाग गया।'

"उसकी ऐसी की तैसी। तुमने मुझसे कहा था कि हम लोग यहां केवल पकौड़े खाएंगे। जबकि अभी हम खुद

पकौड़ा बनते-बनते बचे हैं।"

मैंने दुकान के मालिक को इशारा करके कहा कि बिल भिजवा दें। "रहने दीजिए, साहब। हम आपसे पैसे नहीं लेंगे, दुकान के मालिक ने दम साधे कहा।

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